मेरा घर है मेरे मन के एकदम क़रीब
कभी तो मैं घर जाऊँगा,
आख़िरको जब वापिस आऊँगा
हालाँकि रंग धूसर हो चुके होंगे तब तक
झेलम का पानी कितना साफ़ है, कितना नीला
बेहद निर्मल है, बेहद चमकीला
और मेरा प्यार खुला-खुला, बेहद खुला !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय