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कौन नया यह मंत्र / सुनीता जैन

कौन नया यह मंत्र तुम्हारी
साँसों से कानों में जाए
जाग उठा
सारासचराचर
फूलों-सी चटकी
उल्काएँ
रागों से रंजित हुई वाणी
अधर-पुटों तक रस सरसाए

जाए नहीं पर
हाय, नहीं जाये
देह धरण का द्वैत न जाए