देवदूत सभी रात को मार खाते हैं
जो लोग सोते हैं, ख़ून करके भी
दिन के समय सोते हैं ।
देवदूत सभी रात में मार खाते हैं
दिन का समय ऑफ़िस में काटते हैं
जूते मोज़े के साथ पहनते हैं अपमान की टाई ।
जलते रहते हैं, दिखाई तक नहीं देती राख
ख़राब लोग मज़े में हैं
बाँस घुसाकर पाइन गाछ में
यह न हो तो बचा जा सकता है !
पृथ्वी सिर्फ़ बड़े लोगों की है – ठीक नहीं कहा चाचा ।
देवदूत सभी रात को मार खाते हैं
शून्यता की मार
और उधर, ख़राब लोग अच्छी नींन्द लेते हैं ।
मूल बाँग्ला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता और अनिल पुष्कर