Last modified on 17 मार्च 2017, at 12:38

गळगचिया (12) / कन्हैया लाल सेठिया

मैणबत्ती कयो- डोरा, मैं थारै स्यूं कत्तो मोह राखूं हूं ? सीधी ही काळजै में ठौड़ दीन्ही है। डोरो बोल्यो-म्हारी मरवण,जणाँ ही तिल तिल बळूं हूँ ।