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गोरिया / ब्रह्मदेव कुमार

गोरिया गोरी, जेना पूनों के इंजोरियानि हो।
जेना मोतीसन चमकै डहेलियानि हो॥
जेकरोॅ बाल घुंघरैलोॅ, लहरै नागिन जेना
जेकरोॅ गाल दपदपैलोॅ, लहरै आगिन जेना।
जेकरोॅ कजरैलोॅ अँखिया धनुषियानि हो॥

जेकरोॅ कजरा के धार, कटार लागै
जेकरोॅ लामी-लामी बहियाँ, कचनार लागै।
जे झूकै तेॅ झूकै करिया बदरियानि हो॥
जेकरोॅ लचकै कमरिया, जेना चम्पा के ठार
जेकरोॅ बलखै कमरिया, तेॅ आबै बहार।
जे चलै तेॅ बजै रूनझून पैंजनियाँनि हो॥

जेकरोॅ ठोर रतनार, जेना पंखुरी गुलाब
वै पेॅ तिल बेमिशालं, लाजबाव-बेहिसाब।
तै पेॅ बिजुरी बिरावै, मुस्कनियाँनि हो॥
जे हँसै तेॅ उगै झक देॅ, गुलाब गालोॅ पेॅ
सब्भे बतिया के छिपलोॅ, जबाव गालोॅ पेॅ।
जे बोलै तेॅ जेना कूहकै कोयनियानि हो॥

जेकरोॅ देहों सेॅ फूटै, मन्द-मन्द सुगन्ध
मदमस्त करै बान्है, जे जिनगी के बन्ध।
अनमोल बड़ी प्रीत के लहरियानि हो॥
करी केॅ सिंगार-पटार, जे चलै छै डगर
भगवान करेॅ केकरो नै लागेॅ नजर।
जै सेॅ जुड़लोॅ छै साँसोॅ केरोॅ डोरियानि हो॥