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चूलही में बिहार-मुंगेर बिहार केॅ / कस्तूरी झा 'कोकिल'

मुंगेर बिहार केॅ काश्मीर छै,
बेगूसराय छीकै पंजाबं
मगर बाढ़ नें निगली जाय छै,
सोना वाला चकमक ख्वाब।
जब नेपाल में बरसा भारी।
बाढ़ बिहार में आब छै।
कोसी केॅ तांडव केॅ कारण,
जानमाल बिलाबै छै।
कभी बाढ़, कभी सूखा सें,
साले-साल तबाही छै।
मंतरी, संतरी चाँनी काटै,
कागज पर वाह-वाही छै।
धन्य जवान अपना देशऽ केॅ,
कंुभकरण केॅ जगाबै छै।
फाटक टूट लौंह जागऽ-जागऽ
झोली-झोली उठाबै छै।
सी.एम., पी.एम. केॅ सपना में
उड़ै सदा आकाश में।
जनता केॅ बाढ़े निगलै छै,
नै. छै होश हवास में।
खूब बिकै छै शराब नुकाय केॅ,
अजी पहरूवा मालामालं
सी.एम. भाषण में लागलऽ छै
यू.पी., झारखंड, बंगाल।
शिक्षा, स्वास्थ्य चूलही में गेलै,
एम.डी.एम. में विद्यालयं
‘‘अ‘‘ ‘‘अ’’ तक शिक्षक नैं जानैं,
घुसखोरी में न्यायालय।
अब बिहार केॅ मालिक ईश्वर,
नैं तेॅ बनभौ, वीर जवान।
अमन चैन घुरथौं फेरू सें,
घर-घर केॅ होतै कल्याण।