Last modified on 19 दिसम्बर 2015, at 18:05

चैतावरि २ / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

सुन्न रभसरस रंग हो रामा , कत' मोर कान्हा !
कदम तर तकलहुँ वंशीवट पुछलहुँ
आशुसुर कानय पपिहरा हो रामा कत' मोर कान्हा
माय यशोदा बाट निहोरथि
नोरहि कमल- विषहरा हो रामा कत' मोर कान्हा
नन्दक आकुल आँखि फफनि गेल
गोपिकाक लेल अधपहरा हो रामा कत' मोर कान्हा
सोलहो कला के कोन प्रयोजन
राधा कोना रहती नैहरा हो रामा कत' मोर कान्हा
ठुमकि बहू यमुना हेरु कुंतीक अंगना
रासक नृप सुन्नबहिरा हो रामा कत' मोर कान्हा
कोइलि सुरभि स्वर हरि-हरि गाबथि
केहेन सिनेह पर पहरा हो रामा कत' मोर कान्हा !