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झूठ को सच बना रहे हैं लोग / रोशन लाल 'रौशन'

झूठ को सच बना रहे हैं लोग
ख़ुद-फ़रेबी सिखा रहे हैं लोग

ज़िन्दगी झूठ का गढ़ा ज्योतिष
और ईमान ला रहे हैं लोग

एक सूरज लहू का क्या डूबा
ख़ाक पर हक़ जता रहे हैं लोग

भीड़ में कुछ पता नहीं चलता
आ रहे हैं कि जा रहे हैं लोग

एक ताके-उमीद 'रौशन' हो
एक बस्ती जला रहे हैं लोग