Last modified on 8 जून 2016, at 03:04

टँगलोॅ छै पटवासी साल्हौं सेॅ शीतला / अमरेन्द्र

टँगलोॅ छै पटवासी साल्हौं सेँ शीतला पर
बाकी तेॅ गाँमोॅ मेँ भँक लोटै भुइयाँ।

ओलती-ओसरा सब टुटलोॅ सब भाँगलॉे
मिट्ठू बिन पिंजरा ठो ठाठोॅ मेँ टाँगलोॅ
नद्दी किनारा मेँ काँही चुआंड़ी नै
सौंसे गाँव लागै छै डैनी रोॅ लाँघलोॅ
घरे-घ्र गड़ी गेलै पानी लोहैन्नोॅ
गेलाँ तेॅ पैलाँ भतैलोॅ मटकुइयाँ।

गोतिया-बँटवारा में बँसबिट्टी छटी गेलै
बाबा लगैलोॅ ऊ पीपरो ताँय कटी गेलै
ओनमांसीधँग लागै सब्भे केॅ बेढँग
जहिया सेँ शहरोॅ के खोड़ा सब रटी गेलै
मनोॅ के मैल तेॅ विष्हैन्नी रँ भभकै छै
चमकै बस ऊपरोॅ सेँ देहे रोॅ चोइयाँ।

ढनमनैलोॅ तुलसी रोॅ चौरा सब मिललोॅ
लोरिक-सलहेषोॅ रोॅ सबके मूँ सिललोॅ
काकी जे मौनी मेँ साजी केॅ देलथिन
सूखी हरट्ट छेलै बैन्होॅ ऊ बिल्हलोॅ
केकरोॅ जिनखेल छेकै, केकरोॅ डैनपनोॅ
दरियापुर आग लगै-खेरै में धुइयाँ।