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दोहा / भाग 6 / रसलीन

लिखन चहत रसलीन जब, तव अधरन की बात।
लेखनि की विधि जीभ बँधि, मधुराईतें जात।।51।।

लाल बाल के अधर ढ़िग, लाल बात जनि चाल।
लाल बात सुनि श्रुति सुकुत, करत बात में लाल।।52।।

लाल चलत जिहि ठौर वा, बाल दसन की बात।
श्रवन सुनत ही सीप लों, मुकुतन तें भरि जात।।53।।

मोल लेन को जगत जिय, विधि जौहरी प्रवीन।
राखे बिदु्रम के डबा, लै द्विज मुकुत नवीन।।54।।

दसन झलक में अतुनता, लखि आवत मन मांह।
परी रदन पर आय के, अधर रंग की छांह।।55।।

अरुन दसन तब बदन लहि, को नहिं करै प्रकास।
मंगल सुत आए पढ़न, विद्या बानी पास।।56।।

स्याम दसन अधरान मधि, सोहत हैं इहि भाँति।
कमल बीच बैठी मनो, अलि छवनन की पाँति।।57।।

अधरन बसि मुसकान तुव, ताजे पर कीति निदान।
ज्यों कृपान अमृत धरे, तऊ मारिहै प्रान।।58।।

बिजुरि बीज रदनन जये, अभी बदन में आनि।
या ही तें दामिनि भई, कामिनी की मुसकानि।।59।।

दन्त कथा वा दसन की, अवर कहीं नहिं जात।
फूलझरी सी छुटति जब, हँसि हँसि बोलति बात।।60।।