Last modified on 16 अप्रैल 2018, at 19:41

न आओ न याद करो / सुनीता जैन

न आओ न याद करो-

दिन तो मैंने काट लिया
संध्या भी जाती ही होगी
पक्षी लो चल पड़े नीड़को
न आओ न याद करो

रात हुई पथ देखूँ अब ना
बंद देहरी, दरवाजा, अँगना
तीन पहर बस रहे भोर को
न आओ न याद करो