न आओ न याद करो-
दिन तो मैंने काट लिया
संध्या भी जाती ही होगी
पक्षी लो चल पड़े नीड़को
न आओ न याद करो
रात हुई पथ देखूँ अब ना
बंद देहरी, दरवाजा, अँगना
तीन पहर बस रहे भोर को
न आओ न याद करो
न आओ न याद करो-
दिन तो मैंने काट लिया
संध्या भी जाती ही होगी
पक्षी लो चल पड़े नीड़को
न आओ न याद करो
रात हुई पथ देखूँ अब ना
बंद देहरी, दरवाजा, अँगना
तीन पहर बस रहे भोर को
न आओ न याद करो