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प्रिया-11 / ध्रुव शुक्ल

शब्द सबके अपने होते हैं
प्रेम उन्हीं से उपजता है

जो दूसरों के शब्द उठा लाए थे
वे किसी के मीत नहीं हुए
अपने शब्दों से विमुख
अहंकार में डूबे
एक दिन जीवन से हार गए

उजड़े हुए नगर में विलाप करती है प्रिया