राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
फेरों से उठते ही गीत
दशरथ जी मड़ली संभाल, मंडेले सुआ (जवांई) रम रह्या जी।
रमियां रमियां ब्यायां रो बेटा, लाखीणी बन्नी ले चाल्या जी।
रमिया रमिया संगा का जोध, लाड़ली बन्नी ले चाल्या जी।
फेरों से उठते ही गीत
दशरथ जी मड़ली संभाल, मंडेले सुआ (जवांई) रम रह्या जी।
रमियां रमियां ब्यायां रो बेटा, लाखीणी बन्नी ले चाल्या जी।
रमिया रमिया संगा का जोध, लाड़ली बन्नी ले चाल्या जी।