मुझे हासिल करना है? इतनी ज़री बिखेरती, ओ सुन्दरी,
झालरें गिराती दोनों हाथों से!
ग्रहण करोगी मुझे? कभी न देखा इन आँखों
ऐसा अतुल्य प्रेम।
तुम्हारा मृदु हास मेरे लिए दुनिया पाने के आसपास,
तुम्हारे होठों में आणविक छटा की ऊष्मा।
ले जाना है मुझे? किस सूने खेत से?
तुम बनीं आज अन्नपूर्णा, हाय!
समर्पण चाहिए बस तुम्हें, बारी-बारी सब निकालना है –
मेद, मज्जा, दिल, दिमाग़।
उसके बाद चाहती हो मैं घुटने तोड़ सरेआम रास्ते पर बैठूँ
हाथ में अल्मुनिए का कटोरा लेकर.
लपेट लो रेशमी रस्सी, ख़ूब बिखेरो ज़री, सुन्दरी,
रोज़-ब-रोज़ मुझे अपने पैरों के तले लाना चाहो।
बना दो भिखारी, पर
तुम्हारे मन में कभी यह ख़याल नहीं आया
कि ऐसी गौरी तो नहीं हो तुम !
मूल बंगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा और शिव किशोर तिवारी
(तुमि तो तेमन गौरी न’ओ (1978) में संकलित, मूल शीर्षक – भिखारी बाना’ओ किन्तु तुमि तो तेमन गौरी न’ओ)