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मुग्धा-विमुग्धा / राजकमल चौधरी

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आम्रवृक्ष: काँच, सिनुरैल, कोसाबला फलसँ नमल-झुकल
जाह्नवी कछमछ करैत, अकच्छ होइत, गोमुखसँ जन्मल
बसात: एखन उच्छृखंला निर्झरी, एखन परम शान्त-शीतल
कत्तउ केहेन उत्थर, कत्तउ भारी गहीड़ आ अथाह
उबडुब करइए अज्ञात सिन्धुमे अनकसल नाह

छोड़ि दिअ लग्गासँ थाहब ई अनचिन्हार जलधार
प्रतीक्षा करू, उगत चन्द्रमा छनहिमे पर्वतक ओहि पार