Last modified on 12 दिसम्बर 2017, at 12:11

मुझे पहचानना चाहते हो / अमित कुमार मल्ल

मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
सुबह की चहचहाती चिड़िया

मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
सुलगती दहकती चिंगारी

मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
जमीन में घुलते और बिजते बीजो को

उगूँगा मैं
फोड़कर वही पथरीली धरती
जहाँ खिलते है , बंजर-काँटे-झाड़ियाँ