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मेरी तनहाई के कुछ पल
खामोश थे
न जाने किस बात की तलाश में
न जाने क्या पाया उन्होंने
हिंदी भाषा की आगोश में !
चुप्पी में बंद
मेरे मौन क्षण
गुनगुनाने लगे !
समर्पित है
यह `मौन क्षणों का अनुवाद'
हिंदी भाषा को
जिसने
मेरी अभिव्यक्ती के लिए
एक नया आकाश दिया !