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यात्रा / मेरी ओलिवर / रश्मि भारद्वाज

एक दिन आख़िरकार तुम जान गई कि तुम्हें करना क्या था और बढ़ गई
जबकि तुम्हारे आसपास की आवाज़ें चीख़ती रहीं
अपनी बेज़ा हिदायतें
जबकि हिलने लगा पूरा घर
और तुमने महसूस किया अपनी एड़ियों में वही पुराना खिंचाव
हर आवाज़ चीख़ रही थी
'सँवारो मेरा जीवन'
लेकिन तुम रुकी नहीं
तुम जान चुकी थी, तुम्हें करना क्या था
जबकि हवा ने अपनी सख़्त उँगलियों से प्रहार किया था उसकी नींव पर ही
जबकि भयानक थी उनकी उदासी,
 पहले ही बहुत देर हो चुकी थी
डरावनी काली रात थी
और सड़क पर बिखरी थी टूटी टहनियाँ और पत्थर
लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता
जब तुमने पीछे छोड़ दी उनकी आवाज़ें
चमकना शुरू हो गए तारे
बादलों की चादर से
और एक नई आवाज़ को तुमने हौले से पहचाना,
यह तुम्हारी आवाज़ थी, जो तुम्हारे साथ बनी हुई थी
जब तुम इस दुनिया में गहरे और गहरे उतरती जा रही थी
प्रतिबद्ध होकर करने के लिए
वह एकमात्र कार्य जो तुम कर सकती थी
दृढ़ हो बचाने के लिए
वह एकमात्र जीवन जो तुम बचा सकती थी

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : रश्मि भारद्वाज