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व्यक्तिगत / पंकज सिंह

इस बारिश में

मैं ताज़ा घास की हरी गंध से

भरता जाता हूँ रास्ते से गुजरते हुए


देखो तुममें से कोई या न देखो

यों डबडबाती हैं अजीब ख़ुशियाँ

एक मौसम की

गँवार आदमी के अधरों में


(रचनाकाल : 1980)