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शाम घिरने से पहले / जयप्रकाश मानस

मेरी कविता में वे ही जगमाएँगे

सितारों की तरह

मुखपृष्ठ में नहीं छापे जाते जिनके दर्द

दर्द के शीर्षक

जिनके हिस्से समर्पित

कुछ भी नहीं होता

परिचय सूची से जिनका

नामोनिशान मिटा दिया जाता है

पृष्ठ से नहीं

हाशिए से भी

मिटा दिया जाता है जिनका नाम

रद्दी की तरह फेंक दिए जाते हैं

जिनके हर शब्द, हर छंद

हँसने-रोने के अर्थ, हर अर्थ

जो जनमते हैं सिर्फ मरने-मारे जाने के लिए

उन हाथों तक पहँचा दूँगा

कविता की यह नयी किताब

शाम घिरने से पहले