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सकल विश्व में रम रहे लीलामय श्रीराम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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पद-रत्नाकर / भाग- 6
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(राग माँड़-ताल कहरवा)
सकल विश्वमें रम रहे लीलामय श्रीराम।
विविध रसमयी हो रही लीला सदा ललाम॥