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सच हो जायें इस उम्मीद से बैठे हैं / अमित शर्मा 'मीत'

सच हो जायें इस उम्मीद से बैठे हैं
आँखों की मुँडेर पर सपने बैठे हैं

उस तस्वीर पर आँखें ठहर गयीं जिसमें
दो दीवाने झील किनारे बैठे हैं

अच्छे लड़के हैं हम उसकी नज़रों में
सो हम क्लास में सबसे आगे बैठे हैं

यार मुहब्बत! तुम कितना तड़पाओगी
कब से ये लड़के बेचारे बैठे हैं

इश्क़ ये मानो ताश की बाज़ी हो जैसे
जीत की चाहत में सब हारे बैठे हैं

आज रिहाई मिलने वाली है फिर भी
पिंजरे में मायूस परिंदे बैठे हैं

हम तो कब का भूल चुके हैं लेकिन आप
अब तक दिल पर बात लगाये बैठे हैं