Last modified on 30 जुलाई 2012, at 17:57

सागर पर भोर / अज्ञेय

बहुत बड़ा है यह सागर का सूना
बहुत बड़ा यह ऊपर छाया औंधा खोखल ।
असमंजस के एक और दिन पर, ओ सूरज,
क्यों, क्यों, क्यों यह तुम उग आए ?

आटाभी (जापान), 21 दिसम्बर, 1957