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सुखी रहे तेरी रात (गीत) / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सुखी रहे तेरी रात चंदा सुखी रहे तेरी रात
दूर है चैन की नगरी चंदा दूर है सुख का गाँव
जाने कैसे राह कटेगी हारे थक-थक पाँव
ओट में बैठे बैरी चंदा थाम ले मेरा हाथ
                          सुखी रहे तेरी रात
तेरी दया से दीप जला है इस पापन के द्वारे
जाने कैसे भाग जगे हैं भूल गए दुख सारे
मन काँपे जी धड़के, चंदा छूट न जाए साथ
                          सुखी रहे तेरी रात