(राग जंगला-तीन ताल)
सुखी रहो, नित शान्त रहो तुम, रहो नित्य आनन्द-विभोर।
बसे रहें तव हृदयदेशमें केवल प्यारे नन्द-किशोर॥
नेत्रोंके समुख भी वे ही रहें सदा सर्वत्र अबाध।
डूबे रहो उन्हींके रसमें सदा न रहे अन्य कुछ साध॥
(राग जंगला-तीन ताल)
सुखी रहो, नित शान्त रहो तुम, रहो नित्य आनन्द-विभोर।
बसे रहें तव हृदयदेशमें केवल प्यारे नन्द-किशोर॥
नेत्रोंके समुख भी वे ही रहें सदा सर्वत्र अबाध।
डूबे रहो उन्हींके रसमें सदा न रहे अन्य कुछ साध॥