Last modified on 3 अक्टूबर 2008, at 23:38

सुख / राजेश जोशी

उपटे खुरचे लीपी छाबी
भीत पोतकर
मांडी सांझी

सब बैठे फिर गोल बाँधकर
सबने मिलजुल
गाया गाना

बीच दुखों में दुनिया भर के
अपना छोटा-सा
सुख
पहचाना।