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हमरा करमऽ में आग लागी गेलऽ / परमानंद ‘प्रेमी’

ऐथैं फागुन मस्त भेलै सभ्भे
सभ्भै घरों में ऐलै पहुनमां।
हमरा करमों में आग लागी गेलऽ
परदेशऽ में रूसी बैठलऽ सजनमां॥

फुलबा चुनि-चुनि सेजिया सजलों
सेहो सुनों भेलऽ।
भरलऽ जबानी अकारथ गेलऽ
फगुहौ रोज नैं ऐलऽ॥

केकरा साथें रग अबीर खेलौं?
सोचि-सोचि सिहरै परनमां।
हमरा करमों में आग लागी गेलऽ
परदेशऽ में रूसी बैठलऽ सजनमां॥

गहूम गदराय गेलै आमों मंजराय गेलै
लाले-लाल फूलेले परास।
सभ्भै कढ़ैया में पुवऽ-पूड़ी फूलै
हमरऽ कढ़ैया निरास॥

केना मचतै अवकी फगुवा?
रंगो अबीर नैं नैह पकवनमां।
हमरा करमों में आग लागी गेलऽ
परदेशऽ में रूसी बैठलऽ सजनमां॥

बेदर्दी पियां दरद की जानँ
रात-भर दरदऽ में कटै छ’ केना?
करबट बदलै छी, छटपट करै छी
मछली जेना पानी बिना॥

घुरि-घुरि सखि आबी पूछै छ’
ऐल्हौं केन्ह’ नी तोरऽ बलमुवां?
हमरा करमों में आग लागी गेलऽ
परदेशऽ में रूसी बैठलऽ सजनमां॥

रसे-रस बहै पवन पुरबैया
फूल गमकै चारो ओर।
हमरऽ गमकबऽ निर्मोही क’ नैं भाबलऽ
बैठलऽ जाय क’ देशऽ के छोर॥

कहै ‘प्रेमी’ सुनऽ हे लछमी
पिया के ख्यान करि बैठऽ ऐ गनमां।
आपन्है देहऽ प’ रंग अबीर ढारी ल’
रंगी जैथौं तोरऽ रूसलऽ सजनमां॥