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क्या भला मुझ को परखने का नतीज़ा निकला / अहमद नदीम क़ासमी
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15:42, 25 फ़रवरी 2009
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
क्या भला मुझ को परखने का
नतीज़ा
नतीजा
निकला
ज़ख़्म-ए-दिल आप की नज़रों से भी गहरा निकला
द्विजेन्द्र द्विज
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