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ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा / गुलज़ार
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08:48, 4 नवम्बर 2010
<poem>
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफ़र
तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं
द्विजेन्द्र द्विज
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