Last modified on 5 जून 2011, at 20:27

कैसे बोलों पंडिता देव कौने ठाईं / गोरखनाथ

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:27, 5 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरखनाथ |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> कैसे बोलों पंडिता दे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कैसे बोलों पंडिता देव कौने ठाईं
निज तत निहारतां अम्हें तुम्हें नाहीं । (टेक )
 
पषाणची देवली पषाणचा देव,
पषाण पूजिला कैसे फीटीला सनेह ।

सरजीव तैडिला निरजीव पूजिला,
पापची करणी कैसे दूतर तिरिला ।
 
तीरथि तीरथि सनान करीला,
बाहर धोये कैसे भीतरि मेदीला ।

आदिनाथ नाती म्छीन्द्र्नाथ पूता ,
निज तत निहारे गोरष अवधूता ।।