Last modified on 28 नवम्बर 2011, at 15:36

सामने ये कौन आया दिल में हुई हलचल / आनंद बख़्शी

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:36, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद बख़्शी }} {{KKCatGeet}} <poem> सामने ये कौन ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
सामने ये कौन आया दिल में हुई हलचल
देख के बस एक ही झलक हो गये हम पागल
बातें मुलाक़ातें तो होंगी हम से भी
वो हम पे खुलेंगी कभी आज नहीं तो कल

आँखों ही आँखों में
बातों ही बातों में
कभी जान पहचान होगी
सुन लो ये कहानी
हसीना इक अनजानी
किसी दिन महरबान होगी
ज़ू ज़ु ज़ू, ज़ू ज़ु ज़ू
ज़ू ज़ु ज़ू, ज़ू ज़ु ज़ु ज़ु
सामने ये कौन आया ...

रहना है यहाँ तो
दोनों हैं जवाँ तो
भला दूर कैसे रहेंगे
माना वो हसीं है
तो हम भी कम नहीं हैं
वो मगरूर कैसे रहेंगे
ल ला र, ल ला र
ल ला र, ल ला ल ल
सामने ये कौन आया ...