Last modified on 1 अगस्त 2014, at 16:55

उम्मीदें कुछ खास / शशि पुरवार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:55, 1 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि पुरवार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नये वर्ष से है, हम सबको
उम्मीदें कुछ खास।

आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हुई डाली
मौसम घर का बदल गया, फिर
विवश हुआ माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
नम हुये अहसास।

दरक गये दरवाजे घर के
आंधी थी आयी
तिनका तिनका उजड़ गया फिर
बेसुध है माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आए कोई पास।

चूँ चूँ करती नन्हीं चिड़िया
समझ नहीं पाये
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे बताये
ऊँची ऊँची अटारियों पे
सूनेपन का वास।

नए वर्ष का देवन
पंछी गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भ्रमर का संगीत
नयी ताजगी, नयी उमंगें
मन में है उल्लास।

नये वर्ष से है हम सबको
उम्मीदें कुछ खास।