Last modified on 5 जून 2016, at 21:51

नौ महीने / प्रेमरंजन अनिमेष

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:51, 5 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमरंजन अनिमेष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माँ आज तुम्हें गुज़रे
पूरे नौ महीने हो गए

नौ महीनों में
नया जीवन रच जाता
नया जन्म मिल जाता
तुम्हें भी मिला होगा
पर कहाँ किस तरह नहीं जानता

लेकिन मुझे मिल गया
जन्म नया
इन नौ महीनों में
तुम्हारी स्मृतियों ने
फिर से
रच डाला मुझे
नये सिरे से

अब देखो कैसे
नये जाये-सा मैं
किलकता बिलखता
तुम्हारे ममत्व पय के लिए
होंठ खोले
इस दुनिया में...