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खोलिके किवाड़ गुरु, दरसन देहु गुरु / छोटेलाल दास

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खोलिके किवाड़ गुरु, दरसन देहु गुरु।
ऐलाँ हम तोहरे दुआर, हो सतगुरु स्वामी॥1॥
प्रेम-भक्ति देहु गुरु, साधु-संग देहु गुरु।
विनती करैं छीं कर जोड़ि, हो सतगुरु स्वामी॥2॥
ज्ञान-ध्यान गुरु देहु, सुन्दर विचार देहु।
तजि दीयै पाँचो हम पाप, हो सतगुरु स्वामी॥3॥
भवजल बहै छीयै, त्रय ताप सहै छीयै।
होइ गेलाँ अब ते बेहाल, हो सतगुरु स्वामी॥4॥
बाँह के सहारा देहु, भवजल खींचि लेहु।
करि लेहु भवजल पार, हो सतगुरु स्वामी॥5॥
तोहरे ते आशा गुरु, तोहरे भरोसा गुरु।
करि लेहु ‘लाल’ के उबार, हो सतगुरु स्वामी॥6॥