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बगिया में फूल हजार / रमेश तैलंग

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सबका बसेरा है एक बगिया
बगिया में फूल हजार।
चंपा, चमेली, रात की रानी,
गेंदा, जुही, कचनार।

गोध धरा की,
झूला पवन का,
माथे पर साया
नील गगन का,
दिन की ठिठोली,
रात की लोरी,
खुशबू भरा संसार।

उड़ते परिन्दे,
पेड़ों की हलचल,
पर्वत की चुप्पी,
नदियों की कल-कल,
सूरज का उगना,
चाँद का छुपना,
कैसा सुखी परिवार।