Last modified on 29 जुलाई 2018, at 14:51

कमल कोक श्रीफल मँजीर / प्रवीणराय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:51, 29 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रवीणराय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatChha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कमल कोक श्रीफल मँजीर कलधोत कलश हर।
उच्च मिलन अति कठिन दमक-बहु स्वल्प नीलधर॥
सरवन शरवन हेय मेरु कैलाश प्रकाशन।
निशि बासर तरुवरहिं कांस कुन्दन दृढ़ आसन॥
इमि कहि 'प्रवीन' जल थल अपक अविध भजित तिय गौरि संग।
कलि खलित उरज उलटे सलिल इंदु शीश इमि उरज ढंग॥