Last modified on 11 फ़रवरी 2021, at 00:00

ख़ज़ाने की हमें दौलत भले सारी दिखा देगा / राकेश जोशी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:00, 11 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश जोशी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ख़ज़ाने की हमें दौलत भले सारी दिखा देगा
अगर हक़ माँग लें तुझसे तो लाचारी दिखा देगा

छुपाकर तू हमेशा ही रखेगा ख़ुद की बेशर्मी
ज़माने को मगर हर रोज़ ख़ुद्दारी दिखा देगा

तेरा कोई बहाना जब नहीं चल पाएगा तो फिर
तेरा क्या है, तू माँ की फिर से बीमारी दिखा देगा

कहीं भी घूमने का मन अगर तेरा कभी होगा
तू अफ़सर है, वहाँ तू काम सरकारी दिखा देगा

अगर ये लोग पूछेंगे कि हिम्मत है कहाँ तेरी
तू लड़ने की उन्हें हर बार तैयारी दिखा देगा

जो उसका काम है करना है उसको वो करेगा जब
तू उसका ख़ुद को विज्ञापन में आभारी दिखा देगा

तेरे इन आँकड़ों में है जो खुशहाली वो झूठी है
कहूंगा मैं तो क्या तू भूख-बेकारी दिखा देगा