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इसी प्रश्र पर / नवीन दवे मनावत

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अचानक
शहर में मुझे
धुआं दिखाई दिया
मैंने समझा
चूल्हा जला होगा
फिर सोचा
अरे! ये तो शहर है
कही
श्मसान में मुर्दे
तो नहीं जल रहे
पर तनिक विचार आया
मुर्दे तो अभी जिंदा है शहर में!
क्या आदमी से
आदमी जलता होगा
पर वह धुआं रहित
अग्नि है?
क्या
मंदिर आदि में
पूजा अनुष्ठान तो नहीं हो रहे?
या जल गई
किसी गरीब की
झोपडी
पर ये तो शहर है
बस
इसी प्रश्न पर मन अडा है?