Last modified on 13 जुलाई 2009, at 23:50

मिलन / भारत भूषण अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:50, 13 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारत भूषण अग्रवाल }} <poem> छलक कर आई न पलकों पर विगत ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

छलक कर आई न पलकों पर विगत पहचान
मुस्करा पाया न होठों पर प्रणय का गान;
ज्यों जुड़ी आँखें, मुड़ी तुम, चल पड़ा मैं मूक
इस मिलन से और भी पीड़ित हुए ये प्राण।