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आलस बस झुकत ग्रीव / नारायण स्वामी

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आलस बस झुकत ग्रीव, कबं अंगलेत
उपमा सम देत मोहिं, आवत है लाज।
'नारायन' जसुमति ढिंग, हौं तौ गइ बात कहन,
या मैं भये री, एक पंथ दो काज॥