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कम हैं सिपाही फ़ौज में सरदार बहुत हैं / पवनेन्द्र पवन

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कम हैं सिपाही फ़ौज में सरदार बहुत हैं
यह जंग हार जाने के आसार बहुत हैं

घर में मेरे बुज़ुर्गों के औज़ार बहुत हैं
बच्चों को लड़ने के लिए हथियार बहुत हैं

इस घर की इस लिए कभी सुध ली न किसी ने
इस घर में जायदाद के हक़दार बहुत हैं

जंगल के पंछियों-सी न भरना उड़ानें तुम
बिजली के इस शहर में नंगे तार बहुत हैं

झोली में उसकी जब से इक अनार है दिखा
उस पीर की पनाह में बीमार बहुत हैं
  
हिंसा, बलात्कार है, सेक्सी हैं सीन भी
यह फ़िल्म होगी हिट ‘पवन’ आसार बहुत हैं