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जिसका साँसों ने गीत गाया है / बुनियाद हुसैन ज़हीन

जिसका साँसों ने गीत गाया है
कैसे कह दूँ कि वो पराया है

मैं नहीं हूँ वो मेरा साया है
अपने ही खूं में जो नहाया है

याद बे इख्तियार आया है
मेरी रग -रग में जो समाया है

कैसा रिश्ता है उस से क्या मालूम
जिसने ख्वाबों में भी रुलाया है

ऐसे सहरा से है गुज़र जिस में
दूर तक पेड़ है न साया है

बंद पलकों में उसकी हूँ मैं 'ज़हीन'
उसने मुझको कहाँ छुपाया है