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पगडंडी / आलोक धन्वा


वहाँ घने पेड़ हैं
उनमें पगडंडियाँ जाती हैं

ज़रा आगे ढलान शुरू होती है
जो उतरती है नदी के किनारे तक
वहाँ स्त्रियाँ हैं
घास काटती जाती हैं
आपस में बातें करते हुए
घने पेड़ों के बीच से ही उनकी
बातचीत सुनायी पड़ने लगती है।


(1996)