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बड़े अदब से जो उसने सलाम भेजा है / श्याम सुन्दर नंदा नूर

बड़े अदब से जो उसने सलाम भेजा है।
ये लग रहा है महब्बत का जाम भेजा है।

चले भी आओ किसी दिन निकाल कर फुर्सत
बहुत दिनों में ये उसने प्याम भेजा है।

खुदा का शुक्रिया वाजिब है हर घड़ी हम पर
हमें बना के तुम्हारा गुलाम भेजा है।

सलाम भेजा नही उसने भूल कर हमको
सलाम उसको तो हम ने मुदाम भेजा है।

जवाब आने का इम्कान कम सही लेकिन
खत उसको हमने बसद एहतिराम भेजा है।