Last modified on 29 सितम्बर 2018, at 10:44

लेता हूँ उस का नाम बड़े एहतिराम से / अजय अज्ञात

लेता हूँ उस का नाम अदब ओ एहतिराम से
बख्शा है जिस ने मुझ को इस इल्मेक़लाम से

करता हूँ सुब्होशाम उसी की मैं बंदगी
चलती है कायनात ही जिस के निजाम से

कदमों को जो मिलाना हो रफ्तारेवक़्त से
चलना पड़ेगा दोस्तो जोशो खिराम से

कातिल नज़र से देख कर हौले से मुस्कुरा
वो दिल चुरा के ले गई पहले सलाम से

तन तो बसेरा ह्रैअजय' चंद सांसों का फकत
जाना है सब को एक दिन अपने क़याम से