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विवशता / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

रहा है दिल मला करे ।
न होगा आँसू आए ।
सब दिनों कौन रहा जीता ।
सभी तो मरते दिखलाए ।।१।।

हो रहेगा जो होना है
टलेगी घड़ी न घबराए।
छूट जाएँगे बंधन से।
मौत आती है तो आए।।२।।