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'थैंक यू', सजनी / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
सुख में -दुख में
रीझ-खीझ में / रहीं संगिनी
'थैंक यू', सजनी
प्रभु की किरपा
मिलीं हमें तुम घनी छाँव-सी
हँसी तुम्हारी
पहली ऋतु के सुखद ठाँव-सी
साधी हँसकर
बाधाएँ जो आईं अनगिनी
'थैंक यू', सजनी
राग हमारा रहा एक
यह सुख क्या कम है
तुम सँग जीकर
सिद्ध हुआ यह, सुनो, जनम है
हमें न व्यापी
शोक मोह की कभी डाकिनी
'थैंक यू', सजनी
साँसों की यह यात्रा
जब भी होगी पूरी
यह संतोष रहेगा
हममें रही न दूरी
बनी रहेगी
सँग की इच्छा चिर-सुहागिनी
'थैंक यू', सजनी