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`रेखाओं’ क्षणिकाएँ-2/रमा द्विवेदी

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६- एक लक्ष्मण रेखा,
क्या लांघी?
सीता हरण हो गया,
भयंकर राम-रावण युद्ध,
एक युग का अन्त।

७-रेखाओं का जाल,
उलझती जीवन शैली
का मापदंड।

८- समानान्तर रेखाएँ
किसी को काटती नहीं,
इसलिए जीवन का बीजगणित,
अर्थवान हो उठता है।

९- मेहनत!
भाग्य रेखाओं को,
नया मोड़ दे देती है।

१०- जीवन का समीकरण,
सिर्फ
भाग्य रेखाओं से नहीं बनता।