अंगिका बुझौवल / भाग - 3
तर खमेरी ऊपर झण्डा
जेकरोॅ पात सहस्सर खण्डा।
ओल
हिन्हौ टट्टी, हुन्हौ टट्टी, बीच में मकइया
फरै में लदबद, खाय में मिठैइया।
पानी के सिंघाड़ा
चलोॅ पाँचो भाय पाण्डव चरका पथलोॅ के पार करी दीहोॅ।
अंगुरीदाँत
एक मुट्ठी नारोॅ
सौंसे घरोॅ छारोॅ।
सिन्दूर
हिन्हौ टट्टी, हुन्हौ टट्टी, बीच में सड़कवा
फरेॅ लागलै काली माय, छोड़ी देलकै बन्दूकवा।
सलाम
चार कबूतर चार रंग
भाड़ी में ढूकेॅ एके रंग।
पान
हेती टा चुकड़ी में तीन बचवा
किरीन के धाव लागल उड़ बचवा।
अंडी
इती टा भालमियाँ
हेत्तेॅ ठो पुछड़ी
सूई
आँखीतर गुजुरगुजुर
गुजुर तर फें फें
फें फें तर फदर फदर
सुनेॅ तेॅ कें कें
आँख, नाक, मुख, कान
एक महल में दू दरवाजा
ऐलै लटकन मारोॅ पटकन
नाक
बाप रे बाप
ऊपर से गिरलै बड़का चाप
घोॅर भागलै दुआर दै केॅ
हम्में कोन दै केॅ भागवै रे बाप
जालमछली
तोॅर टाटी ऊपर टाटी
बीच में नाचेॅ गोली पाठी
जीभ
चार कबूतर चार रंग
भाँड़ी में ढूकेॅ तेॅ एक्के रंग
पान, सुपारी, चूना, कत्था
सूतसूत पर आग बरेॅ
लेकिन सूत एक नै जरेॅ
बिजली का तार
घोटोॅ घोटोॅ डिबिया
लाल लाल बिबिया
मसूर
लाल हाथी उजरोॅ सूँढ़
बूटकी अँकुरी
तोॅर गदगद ऊपर फेन
तेकरोॅ बेटा रतन सेन
भात