अंग देव / भाग 2 / अमरेन्द्र
मंगल-तिलक लगैबौं हे स्वामी जी अइयोॅ हेने खमखम करलेॅ हे जान
जान जोगबौं आपनोॅ आस जियै तांय तौहरोॅ हम्मे हे जान“
तिरिया रोॅ बात सुनी केॅ चललै घोड़बा चढ़लोॅ अंग देव हो भाय
भाय पूबेॅ रे देश पलासोॅ के जगल बिलमी रैल्है हो भाय
वोहि रं जंगलवां से सिद्धि लै केॅ जबेॅ लौटी गेलै हो भाय
भाय कैलकै एक्के दिन में अंग के खनखन केन्होॅ हो भाय
सोसें दुनियां टुकटुक ताकै पूछै छै औतार भेलै के हो भाय
जाय निठुर बहेलिया केॅ छेबलेॅ जाय छै निठुरे होलोॅ हो भाय
बचपन जेकरोॅ बालू पेॅ बितलै आरो जुआन जे लहरे पर हो भाय
भाय अन्धड़, पानी, विन्डोबोॅ सब गोड़ दबाबै हो भाय
दुखिया देव शिवलालें लेलकै अंग देव रोॅ औतारोॅ में हो भाय
भाय जेकरा सें निठुर बहेलिया दलकै लोते नाँखो हो भाय
जे-जे मिललै सांप-संपालोॅ गीद्ध, गीदड़ आरो बाघोॅ तक हो भाय
भाय चुनी-चुनी केॅ ऊ देवें कैलकै सबरोॅ नाश हो भाय
सौंसे देशे धन-धन होलै एक हाथ रो आशीष पावी हो भाय
भाय सधवा, विधवा, छौड़ी युवति मिलि गुण गाबै हो भाय
जे देशोॅ में बहू-बेटी रो कोय्योॅ नै रखबारोॅ छेलै हो भाय
भाय ओकरोॅ लेली भगत सलेस रं शिवलाल होलै हो भाय
जे-जे भागोॅ रोॅ मारलोॅ बेटी ओकरो ले अंग देव सहाय हो भाय
भाय बाप बनो ऊ तरत बिहाबै देखथैं-देखथैं हो-भाय
केकरोॅ जान में जान छै एतना बहू-बेटी केॅ छुवियो लै हो भाय
भाय जोॅर-जनानी शिवलाली के राजोॅ में चहकै हो भाय
सौ-सौ साथ में लै केॅ आरो कभी अकेलो घोड़ा कसलेॅ हो भाय
भाय देखी केॅ जेकरोॅ रुप सराहै शतरु दलौं हो भाय
कसलो-थोपलो देह मंदारे रं करोॅ आरो श्याम वरण हो भाय
भाय झुलै चूल घुंघरलोॅ कान्हा तक मेघो सें बढ़ियाँ हो भाय
शोभै फरफर कुरता पे धोती होने दगदग उजरोॅ-उजरोॅ हो भाय
भाय दोनों रे हाथो में अस्त्र विराजै सद्दोखिन हो भाय
पाँच हाथ रोॅ घोड़ा खमखम विन्डोबो रं जेकरोॅ चाल हो भाय
भाय जों लहरोॅ पर डेंगी मचलै होने घोड़बो हो भाय
आंधिये हेनोॅ लहरै अंग देव आंधियो सें बढ़ी केॅ घोड़बा हो भाय
भाय ओकरोॅ लेॅ आँधी भोरकोॅ बतास रं मन बहलाबै हो भाय
ओकरोॅ लेॅ विन्डोबो आंधी सबठो एक बराबरे रं हो भाय
भाय अंग देव रोॅ फरसा उठथैं भुइयां लोटै हो भाय
गंगा माय नें लै लेॅ परीक्षा एक दिन आंधी भेजलकै हो भाय
भाय हेनोॅ आंधी कि पल में कैलकै जग केॅ अन्हार हो भाय
अंग देव रोॅ सथी भुललै आपनोॅ दिशा-दशा रोॅ सुध हो भाय
भाय लागलै सब तेॅ तोपी देतै आपनोॅ धूल में हो भाय
अंग देव तभी आबी केॅ फरसा लै आंधी पर टुटिये गेलै हो भाय
भाय ओकरोॅ अंग-अंग- कटि-कटि गिरलै पार समुद्र हो भाय
अंग देव रोॅ रुपोॅ पेॅ मोहित कत्ते परियो राजा घर के हो भाय
भाय जान लुआबै लेॅ पागल रहै छ सद्दोखिन हो भाय
अंग देव रोॅ परतापो केॅ नाशै लेॅ एकठो बहेलियां नें हो भाय
भाय पेसलोॅ दैत बुललकै साथें लाखो भुत हो भाय
ऐलै उत्तर, पच्छिम सें भी ऐलै पूबें सें काले रं हो भाय
भाय रौंदतेॅ अंग केॅ गोड़ी सें दलकै थलथल भुइयां हो भाय
लागलै सौंसे अंग देश पल में ज यै मिलतै पतालोॅ में हो भाय
भाय लाखो लाख रोॅ गोड़ो सें दलकै थलथल भुइयां हो भाय
एक्के साथ हुहुआबै तेॅ थरथर सरंगी जेना सखिये जैतै हो भाय
भाय कोन मुलुक रोॅ राकस, दानव, दैत, भूत हो भाय
सुमरि केॅ अंग देव हरि केॅ वैं बीसूबा सें पूछै छै हो भाय
”भाय पूछै कि हमरोॅ परीक्षा लै छोॅ हेनोॅ कठिन की हो भाय
मारबै केना केॅ हम्में हो बाबा ई कालोॅ रोॅ काल लगै छै हो भाय
भाय हमरा राह बताबोॅ बाबा रस्ता नै सूझै हो भाय
बीसू बाबां बोललै तबेॅ अंग देव सें हांसी-हांसी हो भाय
भाय एक ऋषि रोॅ शापोॅ सें हनोॅ सभ्भे भेलोॅ छै हो भाय
यै जन्मोॅ सें मोक्ष तभी छै गंगा में जों समैतै ई हो भाय
भाय या गंगा रोॅ पूत हेनै तेॅ मिलतै मोक्ष हो भाय
बीसूबा रोॅ बात सुनी केॅ चललै आपनोॅ घोड़ा सजलेॅ हो भाय
भाय पीछ सौ घोड़ा पर आगू-पीछू दू सौ बैठलोॅ हो भाय
जैतें-जैतें जाय बिलैलै साथी रोॅ संगे अंग देव हो भाय
भाय पेसलोॅ दैत केॅ दांतो लागै केकरौ नै देखो हो भाय
मारै छै कलबलिया में गीता ढूढ़ै हवा-अकासोॅ में सब्भे हो भाय
भाय अंग देव वहां जाय केॅ छुपलय देबो नै जानै हो भाय
अनचोके एकबारगी टूटलै पेसलोॅ दैतोॅ पेॅ अंग देव हो भाय
भाय पकड़ो केॅ जान निकालो लेलकै देखथैं-देखथैं हो भाय
जान निकाली केॅ जेन्है लेलकै आपनो हांथो में अंग देवें हो भाय
भाय तेहनै चील बनी केॅ उड़लै सरंगोॅ में झपटी हो भाय
मारै जेटा भूत, बैताल के कौआ, गीद्ध बनी-बनी उड़ै छै हो भाय
भाय अंग देव केॅ अचरज होय छै ई की होय छै हो भाय
लौटी एलै साथी रोॅ संग में कोशी तट पेॅ बनैलकै डेरा हो भाय
भाय पाँच बरिस रोॅ घोर तपस्या अंग देवें कैलकै हो भाय
सौ-सौ मन तांय दूध चढ़ाबै डेंगी भरि-भरि फोॅल फलार हो भाय
भाय गुग्गुल, धुवनोॅ, चंदन केरोॅ जंगले जराबै हो भाय
कस्तूरी रोॅ गंध सें भरलोॅ टोकरी-टोकरी गोड़ोॅ पेॅ हो भाय
भाय बाबा रोॅ गोड़ बोझैले रहलै यै दिवसोॅ में हो भाय
पूरा होय में घोर तपस्या घंटा भरि जबेॅ रैल्है तबेॅ हो भाय
भाय उड़लोॅ दैत झपटलै वै पर भूत बैत लो लै हो भाय
दैत देखि केॅ पूजा रोॅ चंदन-धुवनोॅ खुब्बे ही धधकेॅ लागलै हो भाय
भाय आपनोॅ धुआं सें ढांपी लेलकै अंगे देव केॅ हो भाय
उड़लै फूल बनी केॅ फरसा, शापे नांखी फूलोॅ रोॅ गंध हो भाय
भाय चढ़लोॅ हवा रोॅ पीठी पर सें घात करै छै हो भाय
बितलै फूल-सुगंध रोॅ हेने घात करै में एक घड़ी हो भाय
भाय उठलै अंगो देव भी टटका अड़हुल बनलोॅ हो भाय
आग में तपलोॅ सोने रं अंग देव दपदप दमकै कंचन रं हो भाय
भाय की सूरज ही ठाड़ोॅ छै धारि रुप मनुक्ख हो भाय
पहलोॅ आंख उठैथैं अंग देव देखै दैंत, बैताल, भूतो हो भाय
भाय गुस्सा सें पटकी गोड़ जमीन पर बरछी खिंचलकै हो भाय
गोड़ पटकना छेलै कि सौंसे धरती डगमग-डगमग भेलै हो भाय
भाय उड़लै अंगो देव सरंगोॅ में तभिये दंत धरै लेॅ हो भाय
पीछू सें उड़लै तीन रंगोॅ रोॅ सेनौं हनहन अंग देवोॅ केॅ हो भाय
भाय आगू में तीर उड़ै बीचोॅ में घोड़ा हजार हो भाय
सबसें पीछू कोटि गड़ासा, भाल, फरसा रौन करै छै हो भाय
भाय एकेक घोड़ा पर छत्तीस बनलोॅ दू-दू योद्धा हो भाय
एकदम डगमग धरती करै छै सेना रोॅ चलला सें थरथर हो भाय
भाय शेषनाग दांतोॅ सें धरलेॅ छै उल्टै नै कहीं हो भाय
बीसू बाबा छुछुम रुप धरि अंग देव रोॅ कानोॅ में बोललै हो भाय
”भाय ई दैंतोॅ रोॅ जान बसै छै तिरमोहनी में हो भाय
जत्तेॅ भूत, पिचास दिखाबै पूर्व जनम रोॅ शापित राजा हो भाय
भाय सब रोॅ पेटोॅ में हीरा, जवाहर, माणिक, मोती हो भाय
बीसू बाबा रोॅ बात सुनो केॅ चललै यौद्धा हुन्नै दिस हो भाय
भाय अंग देव संगेॅ सेना तिरमोहनी में ढुकलै हो भाय
सौंसे दिन आरु रात नदी रोॅ भीतरे-भीतर चललै युद्ध हो भाय
भाय देखथैं-देखथैं टुसटुस लाल भेल तिरमोहनी हो भाय
पानी सेॅ ऊपर उपलैलै मणि, माणिक, मोती, हीरा, पन्ना हो भाय
भाय परगट अंगो देवता होलै आपनोॅ सेना लै हो भाय
लागै जेना उगलोॅ आबै छै तारा बीच पूरा चांदे हो भाय
भाय जेना ढेरे कमल में एकठो राजकमल हो भाय
तीनों सेना तीन दिस गेलै तिरमोहनी पर सम्पत छोड़ि के भाय
भाय अंगोॅ के सब्भे दुखियां लूटै आंगन भरी हौ भाय
दुखिया सबरोॅ भाग बदललै देहरी जराबै चार-चार दीप हो भाय
भाय धनवानीॅ रोॅ घर में रातोॅ रहै अन्हार हो भाय
जुग-जुग केरोॅ दलित जे टूअर पाबि अंग देव हँसै छै हो भाय
भाय निरभय रातो बाघे रं घूमै बहेलिया बिल में हो भाय
मजदूरोॅ रोॅ भाग चमकलै बरसै सोना ओकरोॅ घर मैं हो भाय
भाय देखी केॅ धनवानोॅ रोॅ घर में जोॅर बसै छै हो भाय
हेनोॅ कैलकै अंग देवतां उल्टे-उल्टे ही चललै सब हो भाय
भाय पाठा-पाठी सींग चलाबै छै भागलोॅ कसैया जाय हो भाय
दुखिया घर में फागुने-फागुन जेठ बसै धनवानों घर में हो भाय
भाय लक्ष्मी बैठे, सूतै दुखिया रोॅ द्वारे-द्वार हो भाय
रोज रात केॅ घर-घर पूछै छै हाल-चाल सब अंग देव हो भाय
भाय जानी केॅ सब ई सुखी-सुखी छै विलीन हुवै छै हो भाय
अंग देव रोॅ छै आदेश कि ओकरोॅ समराजोॅ में कोयो हो भाय
भाय बिना लेलेॅ आदेश ढुकै नै कत्तोॅ बरियोॅ हो भाय
आरो अंग रोॅ चुटकियो भरि अन्न नै जैतै बाहर केन्हौं हो भाय
भाय दीरोॅ रोॅ दिरबारोॅ दुखियां ही हेकरा खैतै हो भाय
एक अकेलोॅ आदेशोॅ पर लक्ष्मी बेटां लाखोॅ गिनि जाय हो भाय
भाय दुखियां शिवलालोॅ के राजोॅ अन्न लुटाबै में हो भाय
छीना-झपटी लूट-खसोट रोॅ जरियो कहीं दरेस न रैन्है हो भाय
भाय दुखनी रोॅ गल्लोॅ में हंसुलो शोभै सरसरी हार हो भाय
अंग देवतां स्वर्ग उतारी केॅ रक्खी देलकै घोॅरे-घोॅर हो भाय
भाय टुकटुक ताकै सौंसे सिरिष्टी अंगे दिस हो भाय
गंगा माय रोॅ पानी नांखी दूध, दही, घी बहतै रहै छै हो भाय
भाय अंग देव रोॅ कुतियौ पूआ छोड़ी, छुताय दै हो भाय
सौंसे दियारा रोॅ पत्ता-पत्ता चिड़ियां चुनमुन गाछ बिरिछो हो भाय
भाय कड़रु, बाछा, बाछी, धेनू रोॅ सुख ललचाबै हो भाय
झूमै पुरैनियां, लोदीपुर, खैरपुर आरो नवादा, अठगामो हो भाय
भाय झूमै अलालपुर, फुलबीया, अमिया, मधेपुरा हो भाय
होरी उड़ै फरीदपुर में तेॅ झूमै बहतरा, कम्पनीबाग हो भाय
भाय भेलापुर दरबार महोत्सव रोजे मनाबै हो भाय
बेटा रोॅ सत्कर्म विलोकी केॅ गंगा मैय्या खलखल हांसै हो भाय
भाय फसलोॅ लेली हिन्नेॅ-हुन्नेॅ छाड़न छोड़ै हो भाय
धार घुमाय केॅ अंखुवोॅ सींचै खुश छै गंगा माय हेनोॅ हो भाय
भाय धार अगहने नांखी सालो भर आपनोॅ राखै हो भाय
आपनोॅ पन्नी रोॅ अंचरा में बेटा शिवलालोॅ केॅ सुताबै छै हो भाय
भाय आपनोॅ दूध पिलाबै लोरी गाबी-गाबी रोजे हो भाय
तिरियो रोज मनाबै गंगा राखियो स्वामी रोॅ लाज बचाय गे माय
माय जुग-जुग तोरा तेल-सिनुर लै केॅ पूजबौ हम्में गे माय
हेने रोज मनाबै तिरियां रोजे खुशी लुटाबै तिरियां हो भाय
भाय तिरियां भाग मनाबै जे पैलां हेनोॅ सामी जी हो भाय
रोजे तिरिया केॅ सुतै सें पहलें किस्सा बोलै परासोॅ केरोॅ हो भाय
भाय स्वामी सें सुनि-सुनि तिरिया छमछम नाचै छै हो भाय
बीस साल रोॅ बितलै अवधि जेना मौज जवानी केरॉ हो भाय
भाय यै सालोॅ रोॅ सुक्खोॅ केॅ ब्रह्मौं बोलेॅ नै पारतै हो भाय
सुतलोॅ छेलै एक दिन अंग देव थकलोॅ मांदलोॅ गढ़िया नीन हो भाय
भाय मैय्यो तखनिये सपना में आबी बोलै तेॅ लागलै हो भाय
”बेटा रे शिवलाल तोहें छोॅ रखलेॅ हमरोॅ कोखि रोॅ लाज हो लाल
लाल हमरोॅ कोख कृतारथ कैलैं आपनो जनम केॅ हो लाल
हमरोॅ तोहें सत् केरोॅ बेटा सौ लालोॅ में अपूरव तोहें हो लाल
लाल सातोॅ रे सुरजोॅ के मांगलोॅ तोहों हमरोॅ बेटा हो लाल
हमरोॅ दुख केॅ हरण करि केॅ हमरा जे देला सुख शांति हो लाल
लाल बेटा रोॅ धरम निभैला माय रोॅ धरम बचाय कॅे हो लाल
कहियौं कियेॅ तोहरा सें हम्में कत्तेॅ धन-धन होलोॅ छियै हो लाल
लाल मांगोॅ हमरा सें मांगोॅ जे छै तोहें खुली केॅ हो लाल
अनधन मांगोॅ त्रिभुवन मांगोॅ देबी देवता जे भी चाहोॅ हो लाल
लाल एक नै सौ-सौ इनरासन केॅ तोंहें मांगोॅ हो लाल
आनी केॅ ऐंगना में राखियौ देवता द्वार बैठय्यौ देवी हो लाल
लाल मांगें लेॅ पड़थौ तोरा हमरोॅ मोून मानी केॅ हो लाल“
मैया केरोॅ बात सुनी केॅ अंग देव हुलसी केॅ बोललै“ गे माय
माय हमरोॅ माथोॅ पेॅ हाथ धरी केॅ सच-सच बोलें गे माय
जों हमरा सें खुश छै तोहें मांगबै जे ऊ देबैं तोहें गे माय
माय जरियो नै आना-कानी करबै दै में हमरा गे माय“
बोललै गंगा मैय्यो ”सुनी ला हमरोॅ कोखी केरोॅ हो लाल
लाल प्राणों जों तोहें मांगी लै छोॅ भाग समझबै हो लाल